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गणेश चतुर्थी को किया चंद्र दर्शन तो बनेंगे झूठे कलंक के भागीदार।

गणेश चतुर्थी को किया चंद्र दर्शन तो बनेंगे झूठे कलंक के भागीदार।

गणेश चतुर्थी पर नहीं किया जाता चंद्र दर्शन।

 

हिंदू धर्म में मान्यता है कि गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं करनी चाहिए जबकि गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी का जन्मदिन है जो विघ्नहर्ता है सौभाग्य और बुद्धि के देवता है और गणेशोत्सव के दौरान यदि भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है तो श्रद्धालुओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। लेकिन गणेश चतुर्थी को हिंदू धर्म में पौराणिक रीति रिवाज और पंडित पुरोहितों द्वारा चंद्र दर्शन नहीं करने की सलाह दी जाती है।

 

गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं करने के पीछे जो लॉजिक बताया गया है की एक बार भगवान श्रीगणेश ब्रह्मलोक से लौट रहे थे कि चंद्रमा को गणेशजी शरीर और गज-मुख देखकर हंसी आ गई। गणेश जी को यह अपमान सहन नहीं हुआ। उन्होंने चंद्रमा को शाप देते हुए कहा, ‘तुमने मेरा मजाक उड़ाया है। मैं तुझे शाप देता हूं कि जो भी तेरा मुख देखेगा, वह कलंकित हो जाएगा।’ गणेशजी का शाप सुनकर चंद्रमा बहुत दुखी हुए।

 

 

गणेशजी के शाप वाली बात चंद्रमा ने समस्त देवताओं को सुनाई। सभी देवताओं को चिंता हुई कि चंद्रमा के बिना पृथ्वी पर रात्रि का कोई काम पूरा नहीं हो सकता। चंद्रमा लेकर सभी देवता ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनकों सारी घटना सुनाई इसके बाद ब्रह्माजी बोले, ‘चंद्रमा तुमने शिव-पार्वती के पुत्र गणेश का अपमान किया है। यदि तुम गणेश के शाप से मुक्त होना चाहते हो, तो श्रीगणेशजी का व्रत रखो। वे दयालु हैं, तुम्हें क्षमा कर देंगे। चंद्रमा गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर व्रत-तपस्या करने लगे। भगवान गणेश चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर कहा, ‘वर्षभर में केवल एक दिन भाद्रपद में शुक्ल चतुर्थी की रात को जो तुम्हें देखेगा, उसे ही कोई मिथ्या कलंक लगेगा। बाकी दिन कुछ नहीं होगा।’ तब से भाद्रपद में शुक्ल चतुर्थी की रात को चंद्रमा के दर्शन का निषेध माना जाता है। प्राय देखा जाता है की गणेश चतुर्थी को हिंदू धर्म के लोग चंद्र दर्शन इसी कारण से नहीं करते हैं।

 

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